College security guard held over Kolkata student's alleged gang-rape case; 4th arrest so far
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा, 'चुनी हुई सरकार के पास अफसरों पर नियंत्रण की ताकत ना हो, अधिकारी मंत्रियों को रिपोर्ट करना बंद कर दें या फिर उनके निर्देशों का पालन ना करें तो जवाबदेही का सिद्धांत बेमानी हो जाएगा।'
नई दिल्ली। दिल्ली में सरकारी अफसरों पर चुनी हुई सरकार का ही कंट्रोल रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को यह फैसला दिया। कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा- उपराज्यपाल पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और जमीन को छोड़कर सभी मामलों में दिल्ली सरकार की सलाह पर ही काम करेंगे। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा, 'चुनी हुई सरकार के पास अफसरों पर नियंत्रण की ताकत ना हो, अधिकारी मंत्रियों को रिपोर्ट करना बंद कर दें या फिर उनके निर्देशों का पालन ना करें तो जवाबदेही का सिद्धांत बेमानी हो जाएगा।'
दिल्ली में जॉइंट सेक्रेट्री और इस रैंक से ऊपर के अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के अधिकारों के मुद्दे पर सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव था। दिल्ली सरकार इस मामले में उपराज्यपाल का दखल नहीं चाहती थी। वो इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गई थी कोर्ट ने कहा कि दिल्ली भले ही पूर्ण राज्य ना हो, लेकिन इसके पास कानून बनाने के अधिकार हैं। यह निश्चित करना होगा कि राज्य का शासन केंद्र के हाथ में ना चला जाए। हम सभी जज इस बात से सहमत हैं कि ऐसा आगे कभी ना हो। CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली संविधान पीठ ने 2019 के जस्टिस भूषण के फैसले से भी असहमति जताई, जिसमें कहा गया था कि दिल्ली सरकार के पास जॉइंट सेक्रेटरी स्तर से ऊपर के अफसरों पर कोई अधिकार नहीं है।