हरीश सॉल्वे ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा फैसला बहुत बड़ा फैसला है। यह ट्रांसपैरेंसी और वोटर्स के अधिकार से जुड़ा मामला है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने आज ही एसबीआई को फटकार लगाई थी कि उन्हें इस केस से जुड़ी हर डिटेल बतानी होगी।
नई दिल्ली। इलेक्टोरल बॉन्ड केस में सोमवार को सीनियर एडवोकेट हरीश सॉल्वे ने सुप्रीम कोर्ट के सामने बड़ा बयान दिया। एसबीआई की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि हमारे पास जो भी सूचनाएं हैं, वह सब मुहैया कराई जाएंगी। चाहे यह सूचनाएं प्रासंगिक हों या गैर प्रासंगिक, सबकुछ बताया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम नहीं चाहते कि यह कहा जाए कि एसबीआई कुछ छिपा रहा है। हरीश सॉल्वे ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा फैसला बहुत बड़ा फैसला है। यह ट्रांसपैरेंसी और वोटर्स के अधिकार से जुड़ा मामला है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने आज ही एसबीआई को फटकार लगाई थी कि उन्हें इस केस से जुड़ी हर डिटेल बतानी होगी।
हरीश सॉल्वे ने आगे कहा कि यह निर्णय इस चीज के लिए नहीं लिया गया था कि वह निष्क्रिय पीआईएल उद्योग को जन्म दे। यह अगले दस साल तक चारा नहीं बनना चाहिए, जहां लोग जनहित याचिका दायर कर कह रहे हैं कि इस व्यक्ति की जांच करें और उस व्यक्ति की जांच करें। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय स्टेट बैंक को विशिष्ट बॉण्ड संख्याओं समेत चुनावी बॉण्ड से संबंधित सभी जानकारियों का 21 मार्च तक खुलासा करने का निर्देश दिया। विशिष्ट बॉण्ड संख्याओं से खरीदार और प्राप्तकर्ता राजनीतिक दल के बीच राजनीतिक संबंध का खुलासा होगा।
भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय पीठ ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि एसबीआई को बॉण्ड की सभी जानकारियों का खुलासा करना होगा। उसने एसबीआई चेयरमैन को यह बताते हुए 21 मार्च को शाम पांच बजे तक एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया कि बैंक ने सभी विवरण का खुलासा कर दिया है। पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं।
पीठ ने कहा कि एसबीआई चुनिंदा रवैया नहीं अपना सकता और उसे चुनावी बॉण्ड की सभी संभावित जानकारियों का खुलासा करना पड़ेगा जिसमें विशिष्ट बॉण्ड संख्याएं भी शामिल हैं जिससे खरीददार और प्राप्तकर्ता राजनीतिक दल के बीच राजनीतिक संबंध का खुलासा होगा। उसने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने चुनावी बॉण्ड मामले में अपने फैसले में बैंक से बॉण्ड के सभी विवरण का खुलासा करने को कहा था तथा उसे इस संबंध में और आदेश का इंतजार नहीं करना चाहिए।