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कार्यालयी कामकाज में हिन्दी के सरल शब्दों का हो उपयोग: शाह

शाह ने गुरुवार को हिन्दी दिवस के मौके पर एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की भाषाओं की विविधता को एकता के सूत्र में पिरोने का नाम 'हिंदी' है। स्वतंत्रता आन्दोलन से लेकर आजतक देश को एकसूत्र में बांधने में हिंदी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

14 Sep 2023

कार्यालयी कामकाज में हिन्दी के सरल शब्दों का हो उपयोग: शाह

नई दिल्ली। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने हिन्दी दिवस पर बधाई देते हुए कहा कि कार्यालयी कामकाज में हिन्दी के सरल शब्दों के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए।

शाह ने गुरुवार को हिन्दी दिवस के मौके पर एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की भाषाओं की विविधता को एकता के सूत्र में पिरोने का नाम 'हिंदी' है। स्वतंत्रता आन्दोलन से लेकर आजतक देश को एकसूत्र में बांधने में हिंदी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

शाह ने कहा कि हिंदी के समृद्ध होने से इस देश की सारी भाषाएं समृद्ध होंगी और इस देश की सारी भाषाओं के समृद्ध होने से हिंदी ही समृद्ध होगी। हिंदी उन समस्त भारतीय भाषाओं की मूल परंपरा से है, जो इस देश की मिट्टी से उपजी हैं, यहीं पुष्पित और पल्लवित हुई।

शाह ने कहा कि हिंदी एक जनतांत्रिक भाषा रही है। इसने अलग-अलग भारतीय भाषाओं और बोलियों के साथ-साथ कई वैश्विक भाषाओं को सम्मान दिया है और उनकी शब्दावलियों, पदों और व्याकरण के नियमों को अपनाया है।

गृह मंत्री ने कहा कि किसी भी देश की मौलिक और सृजनात्मक अभिव्यक्ति सही मायनों में सिर्फ उस देश की अपनी भाषा में ही की जा सकती है। उन्होंने कहा कि प्रसिद्ध साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चन्द्र ने लिखा है कि, ''निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति कौ मूल'', यानी अपनी भाषा की उन्नति ही सभी प्रकार की उन्नति का मूल है। सभी भारतीय भाषाएं और बोलियां हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं। जिन्हें हमें साथ लेकर चलना है।

शाह ने कहा कि देश के विभिन्न क्षेत्रों में राजभाषा के प्रयोग को बढ़ाने की दृष्टि से अब तक कुल 528 नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों का गठन किया जा चुका है। विदेशों में भी लंदन, सिंगापुर, फिजी, दुबई और पोर्ट-लुई में नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों का गठन किया गया है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी भाषा के उपयोग को बढ़ावा देने की भी पहल की है।

गृह मंत्री ने कहा कि राजभाषा विभाग की ओर से 'अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन' की भी नई परम्परा शुरू की गई है। 13-14 नवंबर, 2021 को बनारस में पहला और 14 सितम्बर 2022 को सूरत में दूसरा अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन आयोजित किया गया। इस साल पुणे में तीसरा अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है।
 

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