आईबी ने दिल्ली पुलिस और खुफिया एजेंसियों को पहले इनपुट दे दिया था, ताकि इस तरह की घटना को होने से रोका जा सके। इसके मद्देनजर संसद और आसपास की सुरक्षा भी कड़ी कर दी गई थी, लेकिन दो लोग सुरक्षा चक्र तोड़कर संसद में घुसे और दो बाहर रहे। दर्शक दीर्घा में बैठे दो युवक नीचे कूद गए।
13 दिसंबर, 2001। पुरानी संसद हुए आतंकी हमले की याद आज भी हर किसी के जेहन में जिंदा है। इस दिन 5 आतंकियों ने संसद में हमला किया था, जिसमें दिल्ली पुलिस के 5 जवान सहित 9 लोगों की मौत हो गई थी। इस आतंकी वारदात के 22 साल बाद एक बार फिर संसद की सुरक्षा में एक बड़ी चूक सामने आई है। बुधवार को लोकसभा में कार्रवाही के दौरान दो लोग दर्शक दीर्घा से नीचे कूद गए। इस दौरान संसद भवन में अफरा-तफरी मच गई। लोकसभा स्पीकर ने इस मामले के जांच के आदेश दिए हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि खुफिय एजेंसियों और पुलिस के पास इनपुट होने के बावजूद ये घटना कैसे हुई है।
आईबी ने दिल्ली पुलिस और खुफिया एजेंसियों को पहले इनपुट दे दिया था, ताकि इस तरह की घटना को होने से रोका जा सके। इसके मद्देनजर संसद और आसपास की सुरक्षा भी कड़ी कर दी गई थी, लेकिन दो लोग सुरक्षा चक्र तोड़कर संसद में घुसे और दो बाहर रहे। दर्शक दीर्घा में बैठे दो युवक नीचे कूद गए। एक बेंच से दूसरे बेंच पर भागने लगे। इस दौरान एक शख्स ने अपने जूते से निकालकर पीले रंग की गैस स्प्रे कर दी। ऐसी ही घटना संसद के बाहर भी हुई। संसद में मौजूद सांसदों ने दोनों युवकों को पकड़ लिया। उन्होंने जमकर पीटने के बाद सुरक्षाकर्मियों के हवाले कर दिया। लोकसभा की कार्यवाही को स्थगित कर दी गई।
दिल्ली पुलिस चारों आरोपियों को हिरासत में लेकर संसद मार्ग पुलिस स्टेशन आई है। वहां एंटी टेरर यूनिट स्पेशल और खुफिया एजेंसियों के आलाधिकारी उनसे पूछताछ कर रहे हैं। शुरूआती जांच में ये बात सामने आई है कि संसद के बाहर से पकड़े गए नीलम और अमोल के पास मोबाइल फोन नहीं था। इनके पास किसी भी तरह का पहचान पत्र और बैग तक नहीं बरामद हुआ। दोनों ने किसी भी संगठन से संबंध होने से इंकार किया है। उनका दावा है कि वो लोग खुद से प्रेरित होकर संसद गए थे। जांच में ये भी खुलासा हुआ है कि इस साजिश में कुल 6 लोग शामिल थे। 2 लोगों ने अंदर हंगामा किया, तो 2 ने बाहर हंगामा किया। 2 लोग इस मामले में फरार हैं।
पुलिस और जांच एजेंसियां फरार हुए दोनों आरोपियों की तलाश कर रही है। जानकारी के मुताबिक, पांच आरोपी गुरुग्राम में एक जगह रुक थे। वहां ललित झा नामक एक शख्स ने उनके रुकने की व्यवस्था की थी। इन पांचों की पहचान हो चुकी है, लेकिन छठा आदमी कौन है, उसकी पहचान नहीं हो पाई है। बताया जा रहा है कि सभी आरोपी सोशल मीडिया के जरिए एक-दूसरे से मिले थे। इसके बाद पूरी साजिश रची गई। इसके बाद तय दिन पर संसद में दर्शक बनकर दो लोग घुसे। उनकी योजना प्रतीकात्मक विरोध की थी। लेकिन सबसे बड़ा सवाल संसद की सुरक्षा व्यवस्था का है। इतनी कड़ी सुरक्षा के बावजूद चारों आरोपी अपने मकसद में कामयाब रहे।