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सिक्किम आपदा: प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री से बातचीत कर मदद का दिया भरोसा, बचाव कार्यों में तेजी

सिक्किम में भारी तबाही के बीच केंद्र सरकार के बचाव कार्यों में तेजी आई है। बीआरओ के प्रोजेक्ट स्वस्तिक ने उत्तरी सिक्किम के गंभीर रूप से प्रभावित चुंगथांग और मंगन क्षेत्र में राज्य प्रशासन के समन्वय से 200 से अधिक लोगों को सुरक्षित क्षेत्रों में ले जाया गया है। तीन हजार से अधिक पर्यटक सड़कें और इमारतें ध्वस्त होने से राज्य के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुए हैं।

05 Oct 2023

 सिक्किम आपदा: प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री से बातचीत कर मदद का दिया भरोसा, बचाव कार्यों में तेजी

नई दिल्ली। पूर्वोत्तर का खूबसूरत राज्य सिक्किम प्राकृतिक आपदा की मार से बेहाल है। मंगलवार की मध्य रात्रि बादल फटने के बाद इलाके में भीषण सैलाब से शुरू हुआ तबाही का सिलसिला थमा नहीं है। गुरुवार सुबह तक हादसे में 14 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। अभी भी 23 सैन्यकर्मियों सहित सौ से अधिक लोग लापता हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य के मुख्यमंत्री से बातचीत कर हरसंभव मदद का भरोसा दिया। इलाके में बचाव कार्यों के लिए एनडीआरएफ की टीमें तैनात की गई हैं।

सिक्किम में भारी तबाही के बीच केंद्र सरकार के बचाव कार्यों में तेजी आई है। बीआरओ के प्रोजेक्ट स्वस्तिक ने उत्तरी सिक्किम के गंभीर रूप से प्रभावित चुंगथांग और मंगन क्षेत्र में राज्य प्रशासन के समन्वय से 200 से अधिक लोगों को सुरक्षित क्षेत्रों में ले जाया गया है। तीन हजार से अधिक पर्यटक सड़कें और इमारतें ध्वस्त होने से राज्य के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुए हैं। हालांकि व्यापक स्तर पर बचाव कार्य शुरू करने के लिए माैसम साफ होने का भी इंतजार है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सिक्किम के मुख्यमंत्री से अपनी बातचीत की जानकारी देते हुए सोशल साइट एक्स (पूर्व में ट्वीटर) पर लिखा, “सिक्किम के मुख्यमंत्री पीएस तमांग से बात की और राज्य के कुछ हिस्सों में दुर्भाग्यपूर्ण प्राकृतिक आपदा से पैदा हुई स्थिति की समीक्षा की। चुनौतियों का सामना करने के लिए हरसंभव मदद का आश्वासन भी दिया। मैं सभी प्रभावितों की सुरक्षा और कुशलता की प्रार्थना करता हूं।''

मंगलवार मध्य रात्रि और बुधवार सुबह उत्तरी सिक्किम में ल्होनक झील के ऊपर बादल फटा, जिसके बाद तीस्ता नदी में बड़े पैमाने पर सैलाब आ गया। इसके चलते तीस्ता नदी के किनारे बने घर, मकान और दूसरी इमारतें धराशायी हो गई। सैलाब में 14 पुल ध्वस्त हो गए। नदी किनारे बने अस्थायी कैंप में रह रहे सेना के 23 जवान भी सैलाब में बह गए जिनका अबतक पता नहीं चला है। हादसे के बाद लापता हुए लोगों की सही सही संख्या का केवल अनुमान ही लगाया जा सका है।

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