पटना में 17 जून को जो बैठक होने जा रही है, वह पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की स्थायी समिति की बैठक है। इस बैठक की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है।
कोलकाता। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आह्वान पर 23 जून को नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ होने वाली विपक्षी दलों की बैठक से पहले पटना में एक बैठक होनी है कयास लगाये जा रहे हैं कि इस बैठक से पहले 17 जून को ममता बनर्जी पटना जा सकती हैं। इस बैठक में ममता बनर्जी के अलावा झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत पूर्वी भारत के सभी राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होने की उम्मीद है। हालांकि, यह कोई राजनीतिक बैठक नहीं है। पटना में 17 जून को जो बैठक होने जा रही है, वह पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की स्थायी समिति की बैठक है। इस बैठक की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है। पूर्वी क्षेत्रीय परिषद में बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा और सिक्किम शामिल हैं। बिहार सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने बिहार प्रशासनिक सेवा (बीएएस) के 20 अधिकारियों का चयन किया है, जो संपर्क अधिकारियों के रूप में कार्य करेंगे। ये सभी 20 अधिकारी बैठक में भाग लेने वाले अन्य राज्यों के अधिकारियों के साथ समन्वय करेंगे।
उन्होंने बताया कि बैठक का एजेंडा अभी तैयार किया जा रहा है। हालांकि, क्षेत्र से संबंधित सभी मुद्दों को बैठक में शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है। जीएडी द्वारा जारी एक परिपत्र के मुताबिक, ‘बीएएस के सभी 20 अधिकारियों का प्रशिक्षण सोमवार से शुरू होगा और वे राज्य के गृह विभाग को रिपोर्ट करेंगे.’ इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले साल 17 दिसंबर को आयोजित 25वीं पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक की अध्यक्षता की थी। अंतर-राज्य सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देने के लिए राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के तहत पश्चिमी, पूर्वी, उत्तरी, दक्षिणी और मध्य जैसे पांच क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना की गयी थी। इसके तहत, उन्हें आर्थिक और सामाजिक योजना, सीमा विवाद, भाषाई अल्पसंख्यकों या अंतरराज्यीय परिवहन सहित क्षेत्र में आम हित के किसी भी मामले पर चर्चा करने और सिफारिशें करने का अधिकार है।
‘‘सोरा सोरी’’ मुख्यमंत्री की बड़ी उपलब्धी- 2 दिनों में 12 हजार फोन कॉल
पंचायच चुनाव से पहले सीएम ममता बनर्जी को सीधे फोन के कार्यक्रम की शुरुआत की है और इसके माध्यम से से वह जनता से पहुंचना चाहती है और सोरा सोरी मुख्यमंत्री नाम से शुरू इस कार्यक्रम में महज 2 दिनों में ही 12 हजार फोन काल्स आये हैं। ‘दीदी के दूत’ के बाद ‘दीदी को बोलो’, के बाद सीएम को सीधे फोन का कार्यक्रम टीएमसी ने शुरू किया है। 8 मार्च को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद ‘सीधे मुख्यमंत्री’ कार्यक्रम का उद्घाटन किया था। दो दिन बाद बड़ी संख्या में सीधे मुख्यमंत्री के नंबर पर कॉल आने लगी। सूत्रों के मुताबिक सिर्फ 2 दिनों में फोन की संख्या 12 हजार से ज्यादा हो गई है। हालांकि उनमें से कई कॉल परीक्षण कॉल या सूचना कॉल थीं, लेकिन कई फोन के साथ कई तरह की समस्याएं भी आती हैं। सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकार इनमें से ज्यादातर समस्याओं का समाधान कर चुकी है। कुछ दिनों पहले तृणमूल सुप्रीमो ने बांकुड़ा के नबज्बार कार्यक्रम की सभा में वर्चुअली हिस्सा लिया था। उन्होंने उस बैठक में इस नए कार्यक्रम की जानकारी दी थी। एक विशिष्ट नंबर पर कॉल करके उनके प्रतिनिधि को समस्या के बारे में सूचित किया जाता है। उस समस्या को दर्ज किया जा रहा है। शिकायत की गंभीरता को समझते हुए कार्रवाई की जा रही है।
दक्षिण 24 परगना के एक व्यक्ति ने हाल ही में इस नंबर पर कॉल किया। सूत्रों के मुताबिक, शख्स की पत्नी ने एक अपरिपक्व बच्चे को जन्म दिया। लेकिन, वे प्री-मैच्योर बच्चे के इलाज के खर्च को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे थे। ऐसे में वे बच्चे को एसएसकेएम अस्पताल में शिफ्ट करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन, यह काम नहीं कर रहा था। इस बीच ‘सीधे मुख्यमंत्री’ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। अंत में परिवार ने उस नंबर पर कॉल किया। बच्चे को एसएसकेएम में शिफ्ट कर दिया गया। बता दें कि दीदी दूत, दीदी बोलो जैसे कार्यक्रम पहले शुरू किए गए थे, लेकिन वे पार्टी के कार्यक्रम थे, लेकिन यह प्रशासनिक है। व्यक्तिगत समस्याओं के अलावा कई प्रशासनिक समस्याओं की सूचना सीधे मुख्यमंत्री सचिवालय को दी जाती है। पहले ईमेल या पत्र से सूचना देना जरूरी होता था। आपको अभी कॉल करना होगा।