बंगाल विधानसभा में बजट सत्र के अभिभाषण के दौरान बुधवार को राज्यपाल डॉक्टर सीवी आनंद बोस ने राज्य सरकार द्वारा लिखे गए अभिभाषण को पढ़ा था। इसमें केंद्र सरकार पर बंगाल के बकाया को नहीं देने और वंचित करने के आरोप संबंधी हिस्से के पढ़ने को लेकर बंगाल भाजपा राज्यपाल से खफा है।
कोलकाता। बंगाल विधानसभा में बजट सत्र के अभिभाषण के दौरान बुधवार को राज्यपाल डॉक्टर सीवी आनंद बोस ने राज्य सरकार द्वारा लिखे गए अभिभाषण को पढ़ा था। इसमें केंद्र सरकार पर बंगाल के बकाया को नहीं देने और वंचित करने के आरोप संबंधी हिस्से के पढ़ने को लेकर बंगाल भाजपा राज्यपाल से खफा है।
प्रदेश भाजपा के एक शीर्ष नेता ने कहा कि यह परिपाटी रही है कि राज्य सरकार द्वारा लिखकर दिए गए अभिभाषण को राज्यपाल पढ़ते हैं लेकिन उसमें लिखे जाने वाले बिंदुओं से अगर आपत्ति हो तो राज्यपाल पहला और अंतिम हिस्सा पढ़कर परम्परा को निभा सकते थे। विशेष रूप से केंद्र सरकार राज्य को वंचित कर रही है, स्थिर कानून और व्यवस्था की स्थिति और शिक्षा क्षेत्र में उत्कृष्टता पर जोर देने संबंधी राज्यपाल के अभिभाषण को लेकर प्रदेश भाजपा में नाराजगी है।
पार्टी की राज्य समिति के एक सदस्य ने कहा, इस बात से सहमत हैं कि राज्यपाल को परंपरा के अनुसार राज्य सरकार द्वारा प्रदान किए गए लिखित भाषण को पढ़ना होता है। हालांकि राज्यपाल के पास पहली पंक्ति व अंतिम पंक्ति को पढ़कर विवादास्पद अंशों को पढ़ने से बचने का विकल्प था। लेकिन राज्यपाल ने विवादास्पद अंशों पर हमारे विधायकों की आपत्तियों के बावजूद पूरे भाषण को पढ़ने के लिए चुना।
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के मुताबिक, राज्य सरकार ने राज्यपाल के अभिभाषण के जरिए घोर झूठ का सहारा लिया है। राज्य में भ्रष्टाचार और खराब कानून व्यवस्था की स्थिति पर पर्दा डालने के लिए बजट अभिभाषण का सहारा लिया गया। उन्होंने कहा, यह मानने का कोई कारण नहीं है कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को उसके वैध बकाया से वंचित रखा है। बल्कि यह राज्य सरकार है, जिसने केंद्रीय धन का दुरुपयोग किया है।
भाजपा की राज्य समिति के सदस्य ने यह भी कहा कि राज्यपाल के भाषण के अंश, जो वर्तमान शासन के दौरान राज्य के शिक्षा क्षेत्र में उत्कृष्टता के स्तर पर प्रकाश डालते हैं, अस्वीकार्य हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की भर्ती में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की पृष्ठभूमि में यह विशेष रूप से अस्वीकार्य है, राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री सहित लगभग पूरा शिक्षा विभाग सलाखों के पीछे है।
राज्य भाजपा नेतृत्व के एक वर्ग को यह भी लगता है कि राज्यपाल ने पूरे भाषण को पढ़कर राज्य में भ्रष्टाचार के मुद्दों पर विपक्ष के आंदोलनों का सामना कर रही तृणमूल को एक सहारा दिया है।