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बंगाल उपचुनाव में हार के बाद भाजपा में तकरार, नेतृत्व परिवर्तन की मांग तेज

13 नवंबर को हुए उपचुनाव में भाजपा ने छह विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन सभी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। इस निराशाजनक प्रदर्शन के बाद पार्टी के नेताओं में असंतोष बढ़ गया है।

26 Nov 2024

बंगाल उपचुनाव में हार के बाद भाजपा में तकरार, नेतृत्व परिवर्तन की मांग तेज

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में हाल ही में हुए उपचुनाव में भाजपा की करारी हार के बाद पार्टी के भीतर नेतृत्व परिवर्तन की मांग जोर पकड़ रही है। वरिष्ठ भाजपा नेता अग्निमित्रा पॉल ने इस मुद्दे को उठाते हुए एक मजबूत और जुझारू प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की मांग की है, जो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस को कड़ी चुनौती दे सके।

13 नवंबर को हुए उपचुनाव में भाजपा ने छह विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन सभी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। इस निराशाजनक प्रदर्शन के बाद पार्टी के नेताओं में असंतोष बढ़ गया है।

अग्निमित्रा पॉल ने कहा कि हमें एक ऐसे नेता की जरूरत है, जो ममता बनर्जी की सरकार को कड़ी चुनौती दे सके। वर्तमान स्थिति में पार्टी को एक मजबूत और जुझारू नेतृत्व की आवश्यकता है, जो तृणमूल के बढ़ते दबदबे का मुकाबला कर सके।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि तृणमूल सरकार के कार्यकाल में भाजपा कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित किया जा रहा है। पॉल ने कहा कि हमारे कार्यकर्ताओं को हर दिन पीटा जा रहा है और झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है। हमें ऐसा नेतृत्व चाहिए, जो तृणमूल के खिलाफ बिना किसी समझौते के लड़ सके।

पार्टी में बढ़ रहा असंतोष

पश्चिम बंगाल भाजपा के एक पुराने नेता ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर मंगलवार को बताया कि पार्टी के भीतर नेतृत्व को लेकर असंतोष पहले से ही उभर रहा था, लेकिन उपचुनाव के परिणामों ने इसे और तेज कर दिया है। कई नेताओं का मानना है कि अगर पार्टी को बंगाल में अपनी स्थिति मजबूत करनी है, तो प्रदेश नेतृत्व में बड़ा बदलाव करना होगा। बंगाल भाजपा का एक धड़ा ऐसा भी है जो शुभेंदु अधिकारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग कर रहा है। जबकि कुछ पुराने नेताओं का गुट शुभेंदु पर भरोसा नहीं कर पा रहा है।

एक अन्य नेता ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि राज्य भर में पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा हुआ है और जिस तरह से उन पर तृणमूल और प्रशासन का दोहरा अत्याचार हो रहा है, वैसा बचाव उन्हें पार्टी से नहीं मिल रहा। इसलिए उपचुनाव की हार ना केवल एक छोटा झटका है बल्कि 2026 के चुनाव में भी पार्टी की फजीहत का संकेत है। अगर अभी हालात नहीं संभाले गए तो 2026 के विधानसभा चुनाव में भी कुछ खास प्रदर्शन नहीं हो सकेगा।

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