आरजी कर कांड में बड़ी साजिश के पीछे कौन?
कोलकाता। आरजी कर में बड़ी साजिश के पीछे कौन है? सबूत मिटाने के आरोप में टाला थाने के पूर्व ओसी अभिजीत मंडल और आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को शनिवार की रात को सीबीआई ने गिरफ्तार किया है। रविवार को अभिजीत मंडल और संदीप घोष को सियालदह कोर्ट की द्वितीय न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायाधीश पामेला गुप्ता के समक्ष पेश किया गया। सियालदह कोर्ट ने दोनों आरोपियों को तीन दिनों तक सीबीआई रिमांड का आदेश दिया है। बता दें कि नौ अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर का शव मिला था।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलासा हुआ था कि ट्रेनी डॉक्टर की रेप और हत्या की गई है। उसके बाद कोलकाता पुलिस ने इस मामले में सिविक वॉलेंटियर संजय रॉय को अरेस्ट किया था। बाद में सीबीआई ने जांच के दौरान संदीप घोष, अरिजीत मंडल सहित करीब 100 लोगों से पूछताछ की थी। अब सीबीआई ने संदीप घोष और अरिजीत मंडल को भी इस मामले में अरेस्ट कर लिया है। कोर्ट में सीबीआई ने दावा किया कि वारदात की रात को आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और टाला पुलिस स्टेशन के पूर्व ओसी अभिजीत मंडल के बीच बातचीत हुई थी। इसके साक्ष्य सीबीआई को मिल गये हैं। सीबीआई के वकील ने कोर्ट में ये मुद्दा उठाया।
हालांकि, सूत्रों के मुताबिक जिरह के दौरान अभिजीत मंडल ने बातचीत से इनकार किया है। सीबीआई के वकील ने कोर्ट से पूछा कि सीडीआर में संदीप से बातचीत है। इसके पीछे कोई साजिश हो सकती है। हम वास्तव में आगे लाना चाहते हैं। हम संदीप और अभिजीत से आमने-सामने जिरह करना चाहते हैं। सीबीआई की ओर से वकील ने कहा कि ओसी की भूमिका संदिग्ध है। सच्चाई को सामने लाने की जिम्मेदारी हमारी है। उन्होंने एक पुलिसकर्मी के रूप में अपना कर्तव्य पूरा नहीं किया। वह प्रक्रिया को अच्छी तरह से जानते हैं। उन्होंने इसका भी निरीक्षण नहीं किया। बलात्कार और हत्या के मामलों में वह उतने सावधान नहीं रहे जितना उन्हें रहना चाहिए था। सबूत नष्ट किये गये। शव परीक्षण, उंगलियों के निशान, पैरों के निशान भी नष्ट हो गये। अभिजीत के वकील ने सवाल उठाया कि उनके मुवक्किल को 6 नोटिस दिए गए। वह हर बार वह गये थे। वह मेडिकल अवकाश पर थे। अभिजीत के वकील ने कोर्ट को बताया कि वह भी गये थे। उनका सवाल था, 'शनिवार को पूछताछ के दौरान आपको ऐसा क्या मिला, जो उनको गिरफ्तार कर लिया गया?Ó अभिजीत के वकील ने कोर्ट को बताया कि गिरफ्तारी मेमो परिवार को नहीं दिया गया। ग्राउंड अरेस्ट की सूचना नहीं दी गई।
उन्होंने कहा कि मैं एक जनसेवक हूं। कोई भी शर्त दर्ज करें। जमानत की मांग की जा रही है। सीबीआई की ओर से वकील ने कहा कि हम अभिजीत को आरोपी नहीं मान रहे हैं। तीन दिन की हिरासत मांगी जा रही है। मुझे नहीं लगता कि वह मुख्य आरोप में आरोपी हैं। सीबीआई का बयान, कई लोगों को लगता है कि सीबीआई और पुलिस के बीच तनाव है। लेकिन ऐसा नहीं है। हम सचमुच जानना चाहते हैं। सच सामने आने दीजिए। शुरुआत में इस घटना को आत्महत्या बताया गया था, लेकिन ये साफ था कि ये शारीरिक शोषण था। साक्ष्य बहुत देर से जब्त किये गये। अस्पताल के प्रमुख के रूप में संदीप घोष ने नियमों का ठीक से पालन नहीं किया।
सीबीआई के वकील ने कहा कि में लगता है कि इस अपराध के पीछे कोई बड़ी साजिश है। इस घटना की सूचना ताला थाने को सुबह 10 बजे मिली, लेकिन पुलिस अधिकारी 11 बजे मौके पर पहुंचे। एफआईआर रात 11.30 बजे के बाद दर्ज की गई। थाने के ओसी की उस दिन संदीप घोष से कई बार बातचीत हुई थी। उनके बीच गहरे संबंध हैं। पुलिस और सीबीआई के बीच कोई विवाद नहीं है। ओसी से पूछताछ कर घटना की जानकारी हासिल की जा रही है।
कोर्ट में अभिजीत मंडल के वकील ने कहा कि मेरे मुवक्किल के खिलाफ धाराएं जमानती हैं। उन पर घटनास्थल पर देर से एफआईआर दर्ज करने जैसे आरोप हैं। इसके लिए उनके खिलाफ विभागीय जांच हो सकती है, लेकिन इस गलती के लिए उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। जब भी सीबीआई ने उन्हें नोटिस देकर बुलाया, उन्होंने पूरा सहयोग किया। मेरे मुवक्किल को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था, इसके बावजूद वो दोबारा पेश हुए थे।
बताते चलें कि संदीप घोष के खिलाफ आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व उपाधीक्षक डॉ। अख्तर अली ने संस्थान में वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें अस्पताल में शवों की तस्करी, बायो-मेडिकल कचरे में भ्रष्टाचार, निर्माण निविदाओं में भाई-भतीजावाद आदि जैसे आरोप लगाए गए थे। 19 अगस्त को उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 120बी, 420 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 के तहत केस दर्ज किया गया था।