प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में महाकुंभ मेले के दौरान बुधवार तड़के एक भयानक भगदड़ मच गई, जिसमें कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक लोग घायल हो गए
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में महाकुंभ मेले के दौरान बुधवार तड़के एक भयानक भगदड़ मच गई, जिसमें कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक लोग घायल हो गए। अधिकारियों ने इस घटना की पुष्टि की। यह हादसा तब हुआ जब छह सप्ताह तक चलने वाले इस हिंदू महोत्सव के सबसे पावन स्नान दिवस "मौनी अमावस्या" के अवसर पर लाखों श्रद्धालु एकत्र हुए थे। भगदड़ के बाद, सभी 13 अखाड़ों ने अपने पवित्र स्नान को रोकने का फैसला किया। बैठक के बाद निर्णय लिया गया कि नागा साधु और अन्य संत भीड़ कम होने के बाद स्नान करेंगे।
ड्रोन फुटेज में दिखा कि बड़ी संख्या में श्रद्धालु सुबह-सुबह पवित्र डुबकी लगाने पहुंचे थे। लेकिन जल्द ही स्थिति बेकाबू हो गई और भगदड़ मच गई। घटनास्थल के वीडियो और तस्वीरों में स्ट्रेचर पर शवों को ले जाते हुए, ज़मीन पर रोते-बिलखते श्रद्धालु और अफरातफरी में बिखरे सामान देखे गए।
गवाहों के अनुसार, भगदड़ स्थानीय समयानुसार लगभग 2:30 बजे हुई। शुरू में अधिकारियों ने इसकी गंभीरता को कम करके बताया, लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई श्रद्धालु घबराहट में भागने की कोशिश में दूसरी भगदड़ का शिकार हो गए। कुछ श्रद्धालु वापस पंटून पुलों (अस्थायी पुल) की ओर लौटने लगे, लेकिन उनके बंद होने के कारण स्थिति और बिगड़ गई। मुंबई से आए एक श्रद्धालु, रविन ने बताया, "मैंने कई लोगों को गिरते और कुचले जाते देखा। बच्चे और महिलाएँ बिछड़कर मदद के लिए रो रही थीं।"
इस त्रासदी के बाद भीड़ को नियंत्रित करने के लिए रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) को तैनात किया गया और आपातकालीन बचाव अभियान शुरू किए गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात कर पीड़ितों के लिए तत्काल राहत कार्य सुनिश्चित करने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रद्धालुओं से अपील की कि वे मुख्य स्थल पर भीड़ करने की बजाय पास के घाटों पर स्नान करें।
घटना के मद्देनजर प्रशासन ने बहुप्रतीक्षित 'शाही स्नान' को रद्द कर दिया। व्यापक सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन उपायों के बावजूद, जिसमें चिकित्सा टीमें और सॉफ्टवेयर-आधारित निगरानी शामिल थी, अप्रत्याशित श्रद्धालु संख्या के आगे सारी व्यवस्थाएँ विफल हो गईं।
यह पहली बार नहीं है जब महाकुंभ मेले में भगदड़ हुई है। 2013 में भी ऐसी ही एक दुर्घटना हुई थी, जिसमें कम से कम 36 लोगों की जान गई थी। यह ताज़ा घटना दर्शाती है कि दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक को प्रबंधित करना कितना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, जहाँ करोड़ों श्रद्धालु आध्यात्मिक शुद्धि और आशीर्वाद के लिए एकत्र होते हैं।