यहां तक कि आज शाम नबान्न से उनके पास बातचीत के लिए आने का ईमेल भी भेजा गया। मुख्यमंत्री नबान्न में शाम 7.30 बजे तक इंतजार करती रही। पर डाक्टरों ने ईमेल को अपमानजनक बताते हुए प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
कोलकाता। सुप्रीम कोर्ट ने जूनियर डाक्टरों को मंगलवार शाम 5 बजे तक काम पर लौटने का अल्टीमेटम दिया था। कहा था कि ऐसा नहीं होने पर सरकार की किसी भी कार्रवाई को वो रोक नहीं सकते। इसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आंदोलनरत डाक्टरों से अपील करते हुए काम पर लौटने का अनुरोध किया था। ममता ने कहा था कि एक महीना हो गया अब सभी पूजा में लौटें, उत्सव में भाग लें। पर जूनियर डाक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट और मुख्यमंत्री की अपील को नजरअंदाज करते हुए अपना आंदोलन और तेज कर दिया है। यहां तक कि आज शाम नबान्न से उनके पास बातचीत के लिए आने का ईमेल भी भेजा गया। मुख्यमंत्री नबान्न में शाम 7.30 बजे तक इंतजार करती रही। पर डाक्टरों ने ईमेल को अपमानजनक बताते हुए प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
आज जूनियर डॉक्टरों ने एक बार फिर राज्य सरकार के खिलाफ अपने विरोध प्रदर्शन को तेज करते हुए स्वास्थ्य भवन तक ब्रेन प्रतीक के साथ एक मार्च निकाला। जूनियर डॉक्टरों ने सीएम की अपील को असंवेदनशील करार देते हुए घोषणा की कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा, वे किसी भी त्योहार में शामिल नहीं होंगे। इतना ही नहीं डॉक्टरों ने सरकार को पलट कर अल्टीमेटम दे दिया है कि जब तक उनकी पांच प्रमुख मांगें पूरी नहीं होतीं, वे काम पर नहीं लौटेंगे। उनकी मांगों में आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज की डॉक्टर की हत्या और बलात्कार मामले में दोषियों की पहचान और सजा, सबूतों को नष्ट करने वालों पर कार्रवाई, कोलकाता पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल का इस्तीफा, स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है । साथ ही राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों में सुरक्षित और लोकतांत्रिक माहौल बनाना शामिल है। इनमें तीन और नई मांगें जोड़ दी गई है। इसमें स्वास्थ सचिव, स्वास्थ सेवा निदेशक, स्वास्थ शिक्षा निदेशक को निलंबित करना शामिल है। जूनियर डॉक्टरों का आरोप है कि राज्य में स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी के कारण भ्रष्टाचार बढ़ रहा है और उनके आंदोलन को दबाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने प्रतीकात्मक ब्रेन, आंख लेकर स्वास्थ्य भवन को उपहार स्वरूप देने का फैसला किया ताकि स्वास्थ्य भवन के अधिकारी अब कम से कम सोच-समझकर, आंखें खोलकर काम करे।
इससे पहले, जूनियर डॉक्टरों ने कोलकाता पुलिस कमिश्नर को प्रतीकात्मक रीढ़ की हड्डी उपहार में दी थी, जिससे उनका प्रदर्शन काफी चर्चित हुआ था। इसी कड़ी में मंगलवार को, करुणामयी से स्वास्थ्य भवन तक मार्च की योजना बनाई गई, जिसके लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। पुलिस ने स्वास्थ्य भवन के सभी प्रवेश द्वारों पर बैरिकेडिंग कर दी और भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था। स्वास्थ्य भवन के करीब पहुंचने से पहले ही मार्च को रोक दिया । इसके बाद जूनियर डॉक्टर्स वहीं सडक़ पर बैठ गये। जूनियर डॉक्टरों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे अपने न्याय की मांग को लेकर किसी भी परिस्थिति में पीछे नहीं हटेंगे और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, उनका आंदोलन जारी रहेगा।